कोरोना वायरस संक्रमण कैसे होता है क्या लक्षण हैं?



कोरोना वायरस संक्रमण कैसे होता है क्या लक्षण हैं?

इंसान के शरीर में पहुंचने के बाद कोरोना वायरस उसके फेफड़ों में संक्रमण करता है. जिस कारण सबसे पहले बुख़ार होता है, उसके बाद सूखी खांसी आती है. बाद में सांस लेने में समस्या हो सकती है.
वायरस के संक्रमण के लक्षण दिखना शुरू होने में लगभग पाँच दिन लगते हैं. हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ लोगों में इसके लक्षण बहुत दिनो बाद में भी देखने को मिल सकते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वायरस के शरीर में पहुंचने और लक्षण दिखने के बीच 14 दिनों तक का समय हो सकता है. हालांकि कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि ये समय 24 दिनों तक का भी हो सकता है.
कोरोना वायरस उन लोगों के शरीर से अधिक फैलता है जिनमें इसके संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं. लेकिन कई जानकार मानते हैं कि व्यक्ति को बीमार करने से पहले भी ये वायरस फैल सकता है.
बीमारी के शुरुआती लक्षण सर्दी और फ्लू जैसे ही होते हैं जिससे कोई आसानी से भ्रमित हो सकता है.


आखिर क्यों घातक है कोरोना वायरस?

कोरोना वायरस के संक्रमण की तुलना में मरने वालों की संख्या को अगर देखा जाए तो ये बेहद कम हैं. हालांकि इन आंकड़ों पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर सकते है, लेकिन आंकड़ों की मानें तो संक्रमण होने पर मृत्यु की दर केवल एक से दो फ़ीसदी हो सकती है.
फ़िलहाल कई देशों में इससे संक्रमित हज़ारों लोगों का इलाज चल रहा है और मरने वालों का आँकड़ा बढ़ भी सकता है.
56,000 संक्रमित लोगों के बारे में एकत्र की गई जानकारी आधारित विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक अध्ययन बताता है कि -
  • 6 फ़ीसदी लोग इस वायरस के कारण गंभीर रूप से बीमार हुए. इनमें फेफड़े फेल होना, सेप्टिक शॉक, ऑर्गन फेल होना और मौत का जोखिम था.
  • 14 फ़ीसदी लोगों में संक्रमण के गंभीर लक्षण देखे गए. इनमें सांस लेने में दिक्क़त और जल्दी-जल्दी सांस लेने जैसी समस्या हुई.
  • 80 फ़ीसदी लोगों में संक्रमण के मामूली लक्षण देखे गए, जैसे बुखार और खांसी. कइयों में इसके कारण निमोनिया भी देखा गया.
  • कोरोना वायरस संक्रमण का कारण बूढ़ों और पहले से ही सांस की बीमारी (अस्थमा) से ग्रशित लोगों, मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारियों से परेशानियों का सामना करने वालों के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका अधिक होती है.
    कोरोना वायरस का इलाज इस बात पर आधारित होता है कि मरीज़ के शरीर को सांस लेने में मदद की जाए और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति का शरीर ख़ुद वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाए.


 कोरोना जाँच के निन्म टेस्ट हैं।आइये जानते हैं कि इन टेस्ट में क्या-क्या शामिल हैं:


  1. स्वाब टेस्ट: इस टेस्ट में लैब एक कॉटन स्वाब से गले या नाक के अंदर से सैंपल लेकर टेस्ट करता है.
  2. नेजल एस्पिरेट: वायरस की जांच करने वाला लैब आपके नाक में एक सॉल्यूशन डालने के बाद सैंपल कलेक्ट कर उसकी जांच करता है.
  3. ट्रेशल एस्पिरेट: ब्रोंकोस्कोप नाम का एक पतला ट्यूब आपके फेफड़े में डालकर वहां से सैंपल लेकर उसकी जांच की जाती है.
  4. सप्टम टेस्ट: यह फेफड़े में जमा मैटेरियल या नाक से स्वाब के जरिये निकाले जाने वाले सैंपल का टेस्ट होता है.
  5. ब्लड टेस्ट
इस तरह के सभी सैंपल को जुटाने के बाद कोरोना वायरस के हिसाब से इसका विश्लेषण किया जाता है. कोरोना वायरस के सभी वेरिएंट के लिए इनका ब्लेंकेट टेस्ट किया जाता है.

अगर आपको इन्फेक्शन हो या आपने हाल में उन इलाके की यात्रा की है जो कोरोना से प्रभावित हैं तो आपको अपना टेस्ट कराना चाहिए. अगर आपके जान-पहचान के किसी व्यक्ति ने इस तरह की यात्रा की है और आप उनके संपर्क में रहे हों तब भी आपको कोरोना का टेस्ट कराने की जरूरत है.

इसे भी पढ़ें: कोरोना वायरस कैसे फैलता है?


कोविड 19 के लक्षण में ये भी शामिल हैं:
  1. बुखार
  2. खांसी/कफ
  3. सांस लेने में परेशानी
  4. गला खराब होना
आपको इस बात का ध्यान रखने की भी जरूरत है कि अब तक कोरोना का कोई इलाज सामने नहीं आया है.
हिंदी में पर्सनल फाइनेंस और शेयर बाजार के नियमित अपडेट्स के लिए लाइक करें हमारा फेसबुक पेज. इस पेज को लाइक करने के लिए यहां क्लिक करें

Post a Comment

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post